Wednesday, April 1, 2020

रिच डैड पुअर डैड

क्या स्कूल बच्चों को असली ज़िंदगी के लिए तैयार करता है ? मेरे मम्मी-डैडी कहते थे, ‘‘मेहनत से पढ़ो और अच्छे नंबर लाओ क्योंकि ऐसा करोगे तो एक अच्छी तनख़्वाह वाली नौकरी मिल जाएगी।’’ उनके जीवन का लक्ष्य यही था कि मेरी बड़ी बहन और मेरी कॉलेज की शिक्षा पूरी हो जाए। उनका मानना था कि अगर कॉलेज की शिक्षा पूरी हो गई तो हम ज़िंदगी में ज़्यादा कामयाब हो सकेंगे। जब मैंने 1976 में अपना डिप्लोमा हासिल किया–मैं फ़्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में अकाउंटिंग में आनर्स के साथ ग्रैजुएट हुई और अपनी कक्षा में काफ़ी ऊँचे स्थान पर रही–तो मेरे मम्मी-डैडी का लक्ष्य पूरा हो गया था। यह उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। ‘मास्टर प्लान’ के हिसाब से, मुझे एक ‘बिग 8’ अकाउन्टिंग फ़र्म में नौकरी भी मिल गई। अब मुझे उम्मीद थी एक लंबे कैरियर और कम उम्र में रिटायरमेंट की। मेरे पति माइकल भी इसी रास्ते पर चले थे। हम दोनों ही बहुत मेहनती परिवारों से आए थे जो बहुत अमीर नहीं थे। माइकल ने ऑनर्स के साथ ग्रैजुएशन किया था, एक बार नहीं बल्कि दो बार–पहली बार इंजीनियर के रूप में और फिर लॉ स्कूल से। उन्हें जल्दी ही पेटेंट लॉ में विशेषज्ञता रखने वाली वॉशिंगटन, डी.सी. की एक मानी हुई लॉ फ़र्म में नौकरी मिल गई। और इस तरह उनका भविष्य भी सुनहरा लग रहा था। उनके कैरियर का नक़्शा साफ़ था और यह बात तय थी कि वे भी जल्दी रिटायर हो सकते थे। हालाँकि हम दोनों ही अपने कैरियर में सफल रहे, परंतु हम जो सोचते थे, हमारे साथ ठीक वैसा ही नहीं हुआ। हमने कई बार नौकरियाँ बदलीं–हालाँकि हर बार नौकरी बदलने के कारण सही थे–परंतु हमारे लिए किसी ने भी पेंशन योजना में निवेश नहीं किया। हमारे रिटायरमेंट फ़ंड हमारे ख़ुद के लगाए पैसों से ही बढ़ रहे हैं। हमारी शादी बहुत सफल रही है और हमारे तीन बच्चे हैं। उनमें से दो कॉलेज में हैं और तीसरा अभी हाई स्कूल में गया ही है। हमने अपने बच्चों को सबसे अच्छी शिक्षा दिलाने में बहुत सा पैसा लगाया। 1996 में एक दिन मेरा बेटा स्कूल से घर लौटा। स्कूल से उसका मोहभंग हो गया था। वह पढ़ाई से ऊब चुका था। ‘‘मैं उन विषयों को पढ़ने में इतना ज़्यादा समय क्यों बर्बाद करूँ जो असल ज़िंदगी में मेरे कभी काम नहीं आएँगे ?’’ उसने विरोध किया। बिना सोचे-विचारे ही मैंने जवाब दिया, ‘‘क्योंकि अगर तुम्हारे अच्छे नंबर नहीं आए तो तुम कभी कॉलेज नहीं जा पाओगे।’’ ‘‘चाहे मैं कॉलेज जाऊँ या न जाऊँ,’’ उसने जवाब दिया, ‘‘मैं अमीर बनकर दिखाऊँगा।’’ ‘‘अगर तुम कॉलेज से ग्रैजुएट नहीं होओगे तो तुम्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी,’’ मैंने एक माँ की तरह चिंतित और आतंकित होकर कहा।‘‘ बिना अच्छी नौकरी के तुम किस तरह अमीर बनने के सपने देख सकते हो ?’’ मेरे बेटे ने मुस्कराकर अपने सिर को बोरियत भरे अंदाज़ में हिलाया। हम यह चर्चा पहले भी कई बार कर चुके थे। उसने अपने सिर को झुकाया और अपनी आँखें घुमाने लगा। मेरी समझदारी भरी सलाह एक बार फिर उसके कानों से भीतर नहीं गई थी। हालाँकि वह स्मार्ट और प्रबल इच्छाशक्ति वाला युवक था, परंतु वह नम्र और शालीन भी था। ‘‘मम्मी,’’ उसने बोलना शुरू किया और भाषण सुनने की बारी अब मेरी थी। ‘‘समय के साथ चलिए ! अपने चारों तरफ़ देखिए; सबसे अमीर लोग अपनी शिक्षा के कारण इतने अमीर नहीं बने हैं। माइकल जॉर्डन और मैडोना को देखो। यहाँ तक कि बीच में ही हार्वर्ड छोड़ देने वाले बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ़्ट क़ायम किया। आज वे अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और अभी उनकी उम्र भी तीस से चालीस के बीच ही है। और उस बेसबॉल पिचर के बारे में तो आपने सुना ही होगा जो हर साल चालीस लाख डॉलर से ज़्यादा कमाता है जबकि उस पर ‘दिमाग़ी तौर पर कमज़ोर’ होने का लेबल लगा हुआ है। हम दोनों काफ़ी समय तक चुप रहे। अब मुझे यह समझ में आने लगा था कि मैं अपने बच्चे को वही सलाह दे रही थी जो मेरे माता-पिता ने मुझे दी थी। हमारे चारों तरफ़ की दुनिया बदल रही थी, परंतु हमारी सलाह नहीं बदली थी। अच्छी शिक्षा और अच्छे ग्रेड हासिल करना अब सफलता की गारंटी नहीं रह गए थे और हमारे बच्चों के अलावा यह बात किसी की समझ में नहीं आई थी। ‘‘मम्मी’’, उसने आगे कहा, ‘मैं आपकी और डैडी की तरह कड़ी मेहनत नहीं करना चाहता। आपको काफ़ी पैसा मिलता है और हम एक शानदार मकान में रहते हैं जिसमें बहुत से क़ीमती सामान हैं। अगर मैं आपकी सलाह मानूँगा तो मेरा हाल भी आपकी ही तरह होगा। मुझे भी ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी ताकि मैं ज़्यादा टैक्स भर सकूँ और कर्ज़ में डूब जाऊँ। वैसे भी आज की दुनिया में नौकरी की सुरक्षा बची नहीं है। मैं यह जानता हूँ कि छोटे और सही आकार की फ़र्म कैसी होती है। मैं यह भी जानता हूँ कि आज के दौर में कॉलेज के स्नातकों को कम तनख़्वाह मिलती है जबकि आपके ज़माने में उन्हें ज़्यादा तनख़्वाह मिला करती थी। डॉक्टरों को देखिए। वे अब उतना पैसा नहीं कमाते जितना पहले कभी कमाया करते थे। मैं जानता हूँ कि मैं रिटायरमेंट के लिए सामाजिक सुरक्षा या कंपनी पेंशन पर भरोसा नहीं कर सकता। अपने सवालों के मुझे नए जवाब चाहिए’’ वह सही था। उसे नए जवाब चाहिए थे और मुझे भी। मेरे माता-पिता की सलाह उन लोगों के लिए सही हो सकती थी जो 1945 के पहले पैदा हुए थे पर यह उन लोगों के लिए विनाशकारी साबित हो सकती थी जिन्होंने तेज़ी से बदल रही दुनिया में जन्म लिया था। अब मैं अपने बच्चों से यह सीधी सी बात नहीं कह सकती थी, ‘‘स्कूल जाओ, अच्छे ग्रेड हासिल करो और किसी सुरक्षित नौकरी की तलाश करो।’’ मैं जानती थी कि मुझे अपने बच्चों की शिक्षा को सही दिशा देने के लिए नए तरीक़ो की खोज करनी होगी। एक माँ और एक अकाउंटेंट होने के नाते मैं इस बात से परेशान थी कि स्कूल में बच्चों को धन संबंधी शिक्षा या वित्तीय शिक्षा नहीं दी जाती। हाई स्कूल ख़त्म होने से पहले ही आज के युवाओं के पास अपना क्रेडिट कार्ड होता है। यह बात अलग है कि उन्होंने कभी धन संबंधी पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया होता है और उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि इसे किस तरह निवेश किया जाता है। इस बात का ज्ञान तो दूर की बात है कि क्रेडिट कार्ड पर चक्रवृद्धि ब्याज की गणना किस तरह की जाती है। इसे आसान भाषा में कहे तो उन्हें धन संबंधी शिक्षा नहीं मिलती और यह ज्ञान भी नहीं होता कि पैसा किस तरह काम करता है। इस तरह वे उस दुनिया का सामना करने के लिए कभी तैयार नहीं हो पाते जो उनका इंतज़ार कर रही है। एक ऐसी दुनिया जिसमें बचत से ज़्यादा महत्व ख़र्च को दिया जाता है। जब मेरा सबसे बड़ा बेटा कॉलेज के शुरुआती दिनों में अपने क्रेडिट कार्ड को लेकर कर्ज़ में डूब गया तो मैंने उसके क्रेडिट कार्ड को नष्ट करने में उसकी मदद की। साथ ही मैं ऐसी तरकीब भी खोजने लगी जिससे मेरे बच्चों में पैसे की समझ आ सके। पिछले साल एक दिन, मेरे पति ने मुझे अपने ऑफ़िस से फोन किया। ‘‘मेरे सामने एक सज्जन बैठे हैं और मुझे लगता है कि तुम उनसे मिलना चाहोगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनका नाम रॉबर्ट कियोसाकी है। वे एक व्यवसायी और निवेशक हैं तथा वे एक शैक्षणिक उत्पाद का पेटेंट करवाना चाहते हैं। मुझे लगता है कि तुम इसी चीज़ की तलाश कर रही थीं।’’ मेरे पति माइक रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा बनाए जा रहे नए शैक्षणिक उत्पाद कैशफ़्लो से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इसके परीक्षण में हमें बुलवा लिया। यह एक शैक्षणिक खेल था, इसलिए मैंने स्थानीय विश्वविद्यालय में पढ़ रही अपनी 19 वर्षीय बेटी से भी पूछा कि क्या वह मेरे साथ चलेगी और वह तैयार हो गई। इस खेल में हम लगभग पंद्रह लोग थे, जो तीन समूहों मे विभाजित थे। माइक सही थे। मैं इसी तरह के शैक्षणिक उत्पाद की खोज कर रही थी। यह किसी रंगीन मोनोपॉली बोर्ड की तरह लग रहा था जिसके बीच में एक बड़ा सा चूहा था। परंतु मोनोपॉली से यह इस तरह अलग था कि इसमें दो रास्ते थे: एक अंदर और दूसरा बाहर। खेल का लक्ष्य था अंदर वाले रास्ते से बाहर निकलना–जिसे रॉबर्ट ‘चूहा दौड़’ कहते थे–और बाहरी रास्ते पर पहुँचना, या ‘तेज़ रास्ते’ पर जाना। रॉबर्ट के मुताबिक तेज़ रास्ता हमें यह बताता है कि असल ज़िंदगी में अमीर लोग किस तरह पैसे का खेल खेलते हैं। रॉबर्ट ने हमें ‘चूहा दौड़’ के बारे में बताया : ‘‘अगर आप किसी भी औसत रूप से शिक्षित, कड़ी मेहनत करने वाले आदमी की ज़िंदगी को देखें, तो उसमें आपको एक-सा ही सफ़र दिखेगा। बच्चा पैदा होता है। स्कूल जाता है। माता-पिता ख़ुश हो जाते हैं, क्योंकि बच्चे को स्कूल में अच्छे नंबर मिलते हैं और उसका दाख़िला कॉलेज में हो जाता है। बच्चा स्नातक हो जाता है और फिर योजना के अनुसार काम करता है। वह किसी आसान, सुरक्षित नौकरी या कैरियर की तलाश करता है। बच्चे को ऐसा ही काम मिल जाता है। शायद वह डॉक्टर या वकील बन जाता है। या वह सेना में भर्ती हो जाता है या फिर वह सरकारी नौकरी करने लगता है। बच्चा पैसा कमाने लगता है, उसके पास थोक में क्रेडिट कार्ड आने लगते हैं और अगर अब तक उसने ख़रीददारी करना शुरू नहीं किया है तो अब जमकर ख़रीददारी शुरू हो जाती है। ‘‘ख़र्च करने के लिए पैसे पास में होते हैं तो वह उन जगहों पर जाता है जहाँ उसकी उम्र के ज़्यादातर नौजवान जाते हैं–लोगों से मिलते हैं, डेटिंग करते हैं और कभी-कभार शादी भी कर लेते हैं। अब ज़िंदगी में मज़ा आ जाता है, क्योंकि आजकल पुरुष और महिलाएँ दोनों नौकरी करते हैं। दो तनख़्वाहें बहुत सुखद लगती हैं। पति-पत्नी दोनों को लगता है कि उनकी ज़िंदगी सफल हो गई है। उन्हें अपना भविष्य सुनहरा नज़र आता है। अब वे घर, कार, टेलीविज़न ख़रीदने का फै़सला करते हैं, छुट्टियाँ मनाने कहीं चले जाते हैं और फिर उनके बच्चे हो जाते हैं। बच्चों के साथ उनके ख़र्चे भी बढ़ जाते हैं। ख़ुशहाल पति-पत्नी सोचते हैं कि ज़्यादा पैसा कमाने के लिए अब उन्हें ज़्यादा मेहनत करना चाहिए। उनका कैरियर अब उनके लिए पहले से ज़्यादा मायने रखता है।

Saturday, February 9, 2019

Learn English

1. गलतियों को करने से डरो मत, खुद पर आत्मविश्वास रखो। जब लोग आपको सुनते हैं तो लोग केवल आपकी गलतियों को सही कर सकते हैं.
#2. अंग्रेजी से अपने आप को घिराओ, खुद को एक अंग्रेजी बोलने वाले माहौल में रखें जहां आप निष्क्रिय रूप से इंग्लिश सीख सकते हैं। अंग्रेजी सीखने का सबसे अच्छा तरीका बोलने के माध्यम से है.
ca-app-pub-2773693202003246/6856079162 #3.हर दिन अभ्यास करें। खुद का एक अध्ययन योजना बनाओ। तय करें कि एक हफ्ते में आप कितना समय व्यतीत करने जा रहे हैं और अध्ययन कर रहे हैं। एक दिनचर्या स्थापित करें.
#4. अपने अध्ययन योजना के बारे में अपने परिवार और दोस्तों को बताएं, उन्हें अध्ययन करने के लिए उन्हें धक्का दे और उन्हें आपको बाधित न करने दें.
#5. 4 कोर कौशल (skills) का अभ्यास करें: पढ़ना, लिखना, बोलना और सुनना, सुधारने के लिए उन्हें सभी को काम करने की ज़रूरत है.
ca-app-pub-2773693202003246/6856079162 #6. आपके द्वारा सीखने वाले नए शब्दों की एक नोटबुक रखें, उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें और जब आप बोलें तो उन्हें कम से कम 3 बार कहने का प्रयास करें.
#7. दिन में कम-से-कम एक बार मेरी वेबसाइट HimanshuGrewal.com/English-Speaking की मुफ्त शिक्षा अंग्रेजी वेबसाइट पर जाएं और रोज़ एक चैप्टर पूरा करें|
#8. सूचियों की यादें परीक्षण के लिए शब्दावली सीखने के सबसे आम तरीकों में से एक है। यह अल्पावधि अध्ययन के लिए केवल एक अच्छा अभ्यास है क्योंकि आप अक्सर उस जानकारी को बरकरार रखते हैं जिसे आपने परीक्षण के लिए सीखा है.
#9.अपने शरीर की घड़ी का प्रयोग करें। मेरा कहने का अर्थ है की यदि आप सुबह उठने वाले व्यक्ति नहीं हैं, तो दोपहर में अध्ययन करें.
#10. आपको शब्दों को याद रखना आसान लगेगा यदि आप उस शब्द का उपयोग करके उदाहरण वाक्य को याद रखने की कोशिश करते हैं.
#11. एक परीक्षा लेने की योजना है। जब आप किसी चीज़ के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होती है तो आप पाएंगे कि आप कड़ी मेहनत करते हैं.
ca-app-pub-2773693202003246/6856079162 #12. यह कहकर, परीक्षण करने के लिए अध्ययन करना बेहतर नहीं है। बड़ी तस्वीर के बारे में सोचो। जब आपके पास अंग्रेजी का अच्छा आदेश होता है तो आप क्या कर सकते हैं? आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कैसे होगा ?
#13. अपने आप को एक दीर्घकालिक लक्ष्य दें।
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सफल होने का राज

यदि आप अपने काम में कामयाब हो रहे हो तो यह बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन आपको यह भी मालूम करना ज़रूरी है कि क्या आपको उसी एक काम में जितना वक़्त लगना चाहिए उससे ज्यादा तो नहीं लग रहा है ना ?

जब भी आप किसी भी काम को करने की शुरुआत करे, उससे पहले आप निश्चित कर ले कि आप उस काम को करने में कितना समय लगेगा.

इससे आपको आपकी स्पीड और इंटरेस्ट के बारे में पता चलेगा, क्यूंकि अक्सर उस काम को करने में हम ज्यादा वक़्त लगाते हैं जो हमे अच्छा नहीं लगता और यदि आपका इंटरेस्ट है काम में तो यक़ीनन ही आप उस काम को निर्धारित वक़्त से पहले ही पूरा कर लेंगे और अपनी सफलता के दुसरे मुकाम की ओर चल पड़ेंगे.

#2. Hard Work with Smart Work – कठिन परिश्रम करो पर हथियार से

आपने अपनी ज़िन्दगी में कई ऐसे लोग देखे होंगे जो बहुत कठिन परिश्रम अपनी ज़िन्दगी में करते हैं, कहने का अर्थ है कि वो दिन-रात मेहनत ही करते रहते हैं लेकिन फिर भी सफल नहीं हो पाते हैं.

क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है ?

चलिए मै आपको बताता हूँ:-

दो तरह की मेहनत इंसान को करनी चाहिए एक Hard work और दूसरा Smart work.

यदि आप दोनों को अलग-अलग करते हैं तो यक़ीनन ही आप सफल तो होंगे लेकिन आप उतने सफल नहीं होंगे.

Saturday, July 21, 2018

Best Sayari

जाने ये कैसी उम्मीद...

न जाने ये कैसी उम्मीद जगी है,
न जाने कब उसने दिल पे दस्तक दे दी है,
ऐ खुदा बस एक दुआ है तुझसे,
अगर वो है मेरी सच्ची मोहब्बत,
तो रहे हमेशा साथ मेरे...
कुछ अपने दिल वो बताये,
कुछ अपने दिल की हम सुनाएं,
यूं ही साथ उमर कट जाए
है आरज़ू यही कि...
कभी जुदा न हम हों पाएं।

रिच डैड पुअर डैड

क्या स्कूल बच्चों को असली ज़िंदगी के लिए तैयार करता है ? मेरे मम्मी-डैडी कहते थे, ‘‘मेहनत से पढ़ो और अच्छे नंबर लाओ क्योंकि ऐसा करोगे तो एक...